खर्राटों से हैं परेशान तो इसे जरूर पढ़ें

खर्राटों से हैं परेशान तो इसे जरूर पढ़ें

सुमन कुमार

अभी हाल में ये खबर आई कि एक ट्रेन यात्रा के दौरान एक सहयात्री के खर्राटों से अगल-बगल के लोग इतना परेशान हुए कि उन्‍होंने उसे पूरी रात जबरन जगाए रखा। ट्रेन की तेज आवाज के बावजूद अगर खर्राटे की आवाज से लोग परेशान हुए तो समझा जा सकता है कि जनाब के खर्राटों की आवाज कैसी रही होगी। खैर ये तो हुई मजाक की बात मगर असलियत यही है कि खर्राटे देश की बड़ी समस्‍या बन गए हैं।

खर्राटे क्‍यों आते हैं और जोखिम क्‍या है

नींद में जब खुले मुंह से हवा जाती है तो वो जीभ के पीछे और टॉन्सिल एरिया के सॉफ्ट पैलेट को हिलाती है जिससे खर्राटे की आवाज आती है। लेकिन बात इतनी सीधी भी नहीं है क्‍योंकि वैज्ञानिक रूप से यह स्‍थापित है कि खर्राटे लेने वाले लोग हार्ट अटैक, आकस्मि‍क मौत और हृदय की मांसपेशियों में अनियमित सिकुड़न के शिकार हो सकते हैं।

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष और दिल्‍ली के जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि खर्राटों को मजाक में नहीं टाला जा सकता है बल्कि ये एक वास्‍तविक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या है और लोगों को इसे उसी रूप में लेना चाहिए। दरअसल खर्राटे नींद की बाधित अवस्‍था का संकेत देते हैं और ये कई अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को जन्‍म दे सकते हैं। डॉक्‍टर अग्रवाल कहते हैं कि खर्राटों के कुछ मामले और उनका असर तो इतने मामूली होते हैं कि महज सोने के तरीके में बदलाव और शराब के सेवन में कमी करके इनसे छुटकारा पाया जा सकता है।

खर्राटों को बढ़ावा देने वाले कारक

बढ़ा हुआ टॉन्सिल, नाक में अवरोध नाक की झिल्‍ली में विकृति, दंतावली में ढीलापन, नाक से ज्‍यादा आवाज आना, पीठ के बल सोना जिसके कारण जीभ पीछे की ओर हो जाती है और विंडपाइप को आंशिक रूप से अवरूद्ध कर देती है। इसके अलावा बढ़ती उम्र भी एक कारक है जिसके कारण गले की मांसपेश‍ियां दुर्बल हो जाती हैं। वैसे मांसपेशियां शराब के सेवन और ट्रैंक्‍व‍िलाइजर या दर्द निवारक दवाओं के कारण भी दुर्बल हो सकती हैं।

हृदय पर क्‍या असर

डॉक्‍टर अग्रवाल कहते हैं कि खर्राटों के कारण सांस लेने में बाधा पहुंचती है और यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो रक्‍तचाप बढ़ सकता है और इसके कारण हृदय का आकार बढ़ सकता है जो हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ावा देता है। अनिद्रा के शिकार लोगों में हृदय की मांसपेशियों में अनियमित सिकुड़न की आशंका ज्‍यादा होती है। ऐसे अधिकांश मामलों में समस्‍या को सिर्फ जीवनशैली में बदलाव से बेहद फायदा होता है। शराब, सिगरेट से मुक्ति पाने और कुछ दवाइयों की मदद से मांसपेशियों को रिलैक्‍स किया जा सकता है।

तो खर्राटे से मुक्ति कैसे

यदि खर्राटे ऊपर दिए किसी कारण से हो रहे हैं तो उस कारण का पता लगाकर उससे छुटकारा पाने की जरूरत है। कारण का इलाज होने पर खर्राटों से अपने आप छुटकारा मिल जाना चाहिए

सोते समय हमेशा करवट में रहें। इससे जीभ को विंड पाइप को अवरूद्ध करने का मौका नहीं मिलेगा जिससे खर्राटे नहीं आएंगे। यदि संबंधित व्‍यक्ति रात में बार-बार पीठ के बल लेटे तो बेहतर है कि उसके नाइट सूट के बैक में एक बॉल को सिल दिया जाए इससे वो पीठ के बल न सोकर करवट में सोएगा।

खर्राटे के शिकार व्‍यक्ति के लिए एक विशेष तकिया बनाया जा सकता है जिसमें गर्दन के नीचे का हिस्‍सा सिर के नीचे के हिस्‍से से ज्‍यादा ऊंचा हो। इससे गर्दन थोड़ी तनी हुई रहेगी जिससे खर्राटे नहीं आएंगे।

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